जीएसटी बिल मामले में प्रधानमंत्री मोदी और सोनिया गांधी ने चाय पर मुलाकात की। बैठक के बाद अरुण जेटली ने बताया कि फिलहाल जीएसटी पर सहयोग को लेकर कोई आखिरी फैसला नहीं हुआ है और आगे कांग्रेस नेताओं के साथ कुछ और मुलाकतें हो सकती हैं।
बड़ा सवाल ये है कि शुक्रवार को हुई इस चाय की चर्चा के बाद क्या बाजार को उम्मीद करनी चाहिए कि जीएसटी पर बात आगे बढ़ती हुई दिख रही है। क्योंकि कांग्रेस जीएसटी में 3 बदालावों की मांग पर अभी भी अड़ी हुई है। जीएसटी पर कांग्रेस की आपत्ति है कि जीएसटी की दर 18 फीसदी से ज्यादा ना हो और 1 फीसदी इंटर-स्टेट टैक्स ना हो। वहीं विवादों के निपटारे का मैकेनिज्म अलग से होना चाहिए।
जीएसटी पर बने इस सस्पेंस पर बात करते हुए ईवाई के पॉर्टनर सत्या पोद्दार ने कहा कि जीएसटी लागू होने से मैन्यूफैक्चरिंग को फायदा होगा लेकिन अप्रैल 2016 तक जीएसटी लागू होने की संभावना कम दिख रही है। जीएसटी अक्टूबर 2016 या दिसंबर 2016 से ही लागू हो पाएगा। सत्या पोद्दार के मुताबिक अगर जीएसटी ठीक से लगाया जाए तो इसकी की दर ज्यादा से ज्यादा 10 फीसदी होनी चाहिए।
सत्या पोद्दार ने कहा कि कांग्रेस जीएसटी को लेकर अपना ओनरशिप दिखाना चाहती है। जीएसटी अगर ढ़ग से लगाया जाए तो 12 फीसदी से भी काम चल सकता है। सरकार को 18 फीसदी या कम जीएसटी से दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
डेलॉयट इंडिया के सीनियर डायरेक्टर एम एस मणि का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से जीएसटी लागू करने की दिशा में काफी तेजी से काम हुए हैं। और हम जीएसटी लागू करने के काफी करीब आ गए हैं। इंडस्ट्री को जीएसटी लागू करने के लिए 6 से 9 महीने का वक्त देने की जरूरत है। जबतक स्पष्टता नहीं आती तबतक इंडस्ट्री को जीएसटी की तैयारी करने में परेशानी होगी।
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